देश का कार्पोरेटीकरण अदानी ग्रुप के माध्यम से 2014 के बाद द्रुत गति से बढ़ा--डॉ मिथिलेश डांगी

आजादी बचाओ आंदोलन की पाक्षिक आम बैठक मीट के माध्यम से दिनांक 14 अक्टूबर को शाम 8:00 बजे से 9:30 बजे तक सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

इस बैठक का मुख्य विषय 'भारत की वर्तमान परिस्थितियां और अडानी की लूट' था। इसके मुख्य वक्ता आंदोलन के संयोजक डॉक्टर मिथिलेश डांगी थे, जिन्होंने विस्तार से इस मुद्दे पर अपनी बात रखी।


                             गुगल मीट बैठक 


उन्होंने बात रखते हुए कहा कि भारत के संविधान में पूंजीवाद का कहीं भी जिक्र नहीं है लेकिन आज देश को पूंजीवादी नीतियों के तहत बढ़ाया जा रहा है। एक समय भारत में 24 लाख रेलकर्मी थे लेकिन निजीकरण के माध्यम से आज की स्थिति सर्वविदित है। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदो का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान में समान न्याय, राइट टू वर्क व एजुकेशन, देश में बच्चों को अनिवार्य शिक्षा आदि का जिक्र है लेकिन असंवैधानिक तरीके से लगातार निजी इंस्टिट्यूट को बढ़ाया जा रहा है। एक तरफ शिक्षा तथा स्वास्थ्य का निजीकरण खतरनाक रूप से हो रहा है और दूसरी तरफ नाजायज तरीके से टोल टैक्स वसूला जा रहा है।




एक तरफ आंगनबाड़ी सहित प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्रों की संख्या 27 करोड़ के आसपास है, वहीं पर सरकारी शिक्षक की संख्या 97 लाख के करीब है। वहां के पाठ्यक्रम को भी मनमाने तरीके से फेरबदल किया जा रहा है।

गांव, प्रखंड तथा जिला स्तर के अस्पताल लगातार खस्ता हाल में है और इन सभी चीजों पर निजीकरण के माध्यम से कॉर्पोरेट का नियंत्रण होता जा रहा है।

वर्तमान भारत में चर्चित कॉरपोरेट जगत में से एक अदानी समूह के द्वारा भारत के हरेक क्षेत्र पर निजीकरण के माध्यम से कॉर्पोरेट का प्रभुत्व होता जा रहा है।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि 2014 के बाद विभिन्न बंदरगाहों पर अदानी समूह का प्रभुत्व है जैसे पश्चिम बंगाल में हल्दिया, ताजपुर उड़ीसा में धामरा, आंध्र प्रदेश में कृष्णापट्टनम, विशाखापट्टनम आदि, कर्नाटक में बेंगलुरु, गुजरात में मुंद्रा, दहेज,आदि गोवा में पणजी तथा पांडिचेरी, केरल, महाराष्ट्र में एक-एक तथा तमिलनाडु में दो बंदरगाह अदानी समूह के हैं। भारत के तटीय व्यापार पर अदानी समूह का 46% कब्जा है।



 जहां पर जल मार्ग की बहुलता नहीं है उस क्षेत्र के कई हवाई अड्डे भी अब अदानी समूह के पास है। जैसे लखनऊ, अहमदाबाद, बेंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी आदि। इसके अलावा 25 अन्य हवाई अड्डे भी आधुनिकीकरण के नाम पर  अदानी समूह को देने की तैयारी है। इस तरह के क्षेत्र उस कॉरपोरेट कंपनी को दिया जा सकता है जिनके पास तीन से चार वर्ष का अनुभव हो, जबकि अदानी समूह के पास इस तरह का अनुभव नहीं है।

ठीक उसी प्रकार रेलवे ट्रांसपोर्टेशन में भी अदानी समूह ने अपना प्रभुत्व बढ़ाया है। जैसे मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, उत्तर प्रदेश में अयोध्या तथा गोमती, नई दिल्ली के सफदरगंज रेलवे स्टेशन सहित ग्वालियर, इंदौर तथा अहमदाबाद आदि शहरों के चुनिंदा रेलवे स्टेशन पर अब अदानी समूह का नियंत्रण है।

ठीक उसी प्रकार राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के अंतर्गत 600 किलोमीटर लंबाई वाले गंगा एक्सप्रेसवे में से 470 किलोमीटर लंबाई वाली सड़क बनाने का काम अदानी समूह को मिला है।

ऊर्जा के क्षेत्र में भी थर्मल पावर प्लांट के अंतर्गत चार लाख 16 हजार मेगावाट में से 44 हजार मेगावाट के अंतर्गत इस परियोजना में अदानी समूह की भूमिका है।

ठीक उसी प्रकार कोल ब्लॉक में भी अदानी समूह को अच्छा खासा शेयर दिया गया है।



उन्होंने RSR (Rail ship Rail) योजना का जिक्र करते हुए कहा कि यह योजना भी अदानी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए लाई गई। इसे विस्तार से समझाते हुए उन्होंने कहा कि एक समय झारखंड के पचवारा कोयला खदान से कोयला सीधे पंजाब एनटीपीसी जाती थी। लेकिन अब पाकुड़ के पचवारा से यह कोयला पहले उड़ीसा के पारादीप जाती है, वहां से ship के माध्यम से यह गुजरात के दहेज बंदरगाह जाता है। वहां से फिर यह ट्रेन के माध्यम से पंजाब एनटीपीसी भेजा जाता है।

इस तरह जो कोयला झारखंड से सीधे पंजाब एनटीपीसी भेजने पर  प्रति टन 4700 रूपए में चला जाता था, अब वही कोयला अदानी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए प्रति टन 7000 रूपए में पंजाब पहुंच रहा है।


अग्निवीर योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की योजना का लाभ भी अदानी समूह को मिलेगा। अग्निवीर योजना में काम करने वाले सैनिक चार साल में रिटायर होने के बाद इसी तरह का काम करना पसंद करेंगे। आने वाले दिनों में देश में कई तरह की अव्यवस्था फैलने के आसार हैं। इसका नतीजा यह होगा कि अडानी समूह जैसे कॉरपोरेट कंपनी को हथियारबंद सैनिक की आवश्यकता पड़ेगी। अग्निवीर योजना से रिटायर सैनिक इसमें काम आएंगे। दूसरी तरफ कानपुर में हथियार उत्पादन करने वाली फैक्ट्री का ठेका भी भारत सरकार के द्वारा अडानी समूह को दिया गया है, जिससे इन सैनिकों को हथियार मुहैया कराने में आसानी रहेगी। यह एक प्रकार से देश की संप्रभुता को खतरे में डालने जैसा होगा।

डॉ डांगी ने यह भी खुलासा किया कि बॉक्साइट और मैंगनीज आदि क्षेत्रों में भी अदानी समूह काम कर रहा है।

उन्होंने मणिपुर में पिछले कई महीने से जारी कुकी-मैतई हिंसा में भी अदानी समूह की भूमिका को जोड़ते हुए कहा कि अडानी समूह को वहां पर पाम आयल तेल की खेती करनी है और इस समूह को वहां पर बसाने के लिए भी इस हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इस तरह उन्होंने कहा कि भूमि, जल, वायु सहित सभी क्षेत्रों में इस कॉर्पोरेट कंपनी का अच्छा खासा प्रभुत्व हो चुका है। 2014 के पहले इस देश में जिन-जिन क्षेत्रों में कॉर्पोरेट का प्रभुत्व था, आज उस क्षेत्र में पहले के मुकाबले कहीं अधिक इस पूंजीवादी शक्तियों का कब्जा है और रोचक बात यह है कि उस पर केवल एक पूंजीपति गौतम अडानी का कब्जा है। इससे पता चलता है कि अदानी की लूट की फेहरिस्त काफी लंबी है। हिंदुस्तान की हुकूमत उसके द्वारा ही govern हो रही है। 

2014 के पहले भी विभिन्न बंदरगाहों पर कॉरपोरेट का कब्जा था लेकिन बड़े-बड़े बंदरगाह सरकार द्वारा संचालित होते थे लेकिन आज मुंद्रा जैसे बंदरगाह भी अदानी समूह के हाथ में है। इन सब परिस्थितियों के मद्देनजर देश में महंगाई और बेरोजगारी भी लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि इस तरह की निजी कंपनियां अपने निजी मुनाफे के लिए काम करती है ना कि जनहित के लिए।

डॉ डांगी ने इस जूम मीटिंग में बैठे आंदोलनकारी से आह्वान किया कि वह इस लूट के खिलाफ जनता को जागरूक करें तथा देसी-विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां के खिलाफ विभिन्न मोर्चे पर प्रतिरोध करें।

इस जूम मीटिंग में हसमुख भाईपटेल, उपेंद्र कुमार, दिनेश यादव, अंकेश मद्धेशिया, विकास कुमार, अजय पांडे, ओम प्रकाश जी, श्रीपत कुशवाहा, हिमांशु युवा तथा मनीष सिन्हा सहित डेढ़ दर्जन साथी उपस्थित थे।

सर्वसम्मति से यह भी फैसला हुआ कि अगली पाक्षिक बैठक 28 अक्टूबर को शाम 8:00 बजे होगी, जिसमें डॉक्टर मिथिलेश डांगी ही इस क्रम को आगे बढ़ते हुए उड़ीसा में संसाधनों की लूट पर अपनी राय रखेंगे।

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