आजादी बचाओ आंदोलन की पाक्षिक जूम बैठक 28 अक्टूबर दिन शनिवार को संपन्न हुई। जिसमें उड़ीसा में संसाधनों की स्थिति एवं अदानी की लूट के बारे में आंदोलन के संयोजक डॉक्टर मिथिलेश डांगी ने विस्तार से अपनी बात रखी। उड़ीसा राज्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक 1 अप्रैल 1936 को स्थापित इस राज्य को इस तिथि के दिन उत्कल दिवस या उड़ीसा दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस समय राज्य में 30 जिले हैं । क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से उड़ीसा भारत का नौवां तथा जनसंख्या के हिसाब से 11वां सबसे बड़ा राज्य है ।कृषि यहां प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है।राज्य के कुल क्षेत्रफल का 45% भाग में खेत है, जिसके 80% भाग में चावल की खेती होती है। यहां लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है।राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 1,55,707 वर्ग किलोमीटर है इसमें 58,136 वर्ग किलोमीटर में वन फैला हुआ है।इन वनों में आरक्षित वन क्षेत्र 26329 वर्ग किलोमीटर संरक्षित वन क्षेत्र 15525 वर्ग किलोमीटर तथा अवर्गीकृत वन 16283 वर्ग किलोमीटर है। वन क्षेत्र राज्य की भौगोलिक क्षेत्रफल का 37.34 प्रतिशत है जो भारत के वनों का 7.53 प्रतिशत होता है।उड़ीसा सरकार ने 1982 से 2013- 2014 तक राज्य के 42,470 हेक्टेयर वन भूमि को 3103 परियोजनाओं के लिए समर्पित किया है।
उड़ीसा के खनिज संसाधनों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उड़ीसा में बॉक्साइट, लौह अयस्क, क्रोमाइट, मैंगनीज, तांबा आदि खनिज भंडार है, जिसका बाजारg मूल्य 325 करोड रुपए हैं। जबकि इस राज्य में कुल आबादी लगभग 5 करोड़ की है अर्थात् इस राज्य में प्रति व्यक्ति खनिजों का जो भंडार है, उसका मूल्य लगभग 65 लाख रुपया होता है। लेकिन दुख की बात है कि इस संपूर्ण भंडार को देश की सरकार किसी न किसी पूंजीपति के हाथों सौंपती आ रही है। वह भी इन्हीं जनता के विकास के नाम पर, अर्थात एक व्यक्ति का 65 लाख रुपए की लूट करवाकर विकास का नाम दिया जा रहा है जबकि भारत के संविधान की धारा 39 ' ख' स्पष्ट करता है की इन खनिजों का स्वामित्व और नियंत्रण का अधिकार सिर्फ और सिर्फ समुदाय के हाथों में है।
उन्होंने आगे कहा कि इस देश का वर्तमान नौकरशाह पूंजी पतियों का गुलाम है और यह वर्ग सिर्फ इन्हीं पूंजीपतियों के इशारों पर काम करता है। हालांकि इस काम को भी वे जन सेवा कहते हैं तथा जनता के विकास का सब्जबाग दिखाकर पूंजीपतियों के विकास के लिए कार्य करते हैं। इसका ताजा उदाहरण उड़ीसा के सीजीमाली बॉक्साइट ब्लॉक खनन के लिए किए जा रहे जनसुनवाई को देख सकते हैं जहां 16 और 18 अक्टूबर 2023 को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उड़ीसा और जिलाधिकारी के समक्ष जनसुनवाई हुई, जिसमें कंपनी की तरफ से भाड़े के लोग बुलाए गए और उन्हें एक विशिष्ट पहचान दी गई। उन्हीं पहचान को देखकर जनसुनवाई स्थल पर उन्हें जाने दिया गया। हालांकि स्थानीय साथियों ने इसका विरोध किया और कंपनी के दलालों को खदेड़ा लेकिन यह हाल लगभग सभी खनन क्षेत्र में दिखाई देता है।
उन्होंने उड़ीसा में अदानी के प्रोजेक्ट की चर्चा करते हुए कहा कि अदानी उड़ीसा में 57575 करोड रुपए की परियोजना लगा रहा है।इसी क्रम में उन्होंने इंटीग्रेटेड एलुमिना रिफाइनरी प्रोजेक्ट की चर्चा की। यह रायगढ़ा में स्थापित किया जा रहा है तथा इसके सपोर्ट के लिए इसी जिला के काशीपुर में 175 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट भी लगाया जाएगा ।इस रिफाइनरी प्रोजेक्ट का सालाना उत्पादन चार मिलियन टन होगा तथा इसके लिए बॉक्साइट की आपूर्ति उड़ीसा के ही कालाहांडी और रायगढा जिले के बॉक्साइट ब्लॉक जो वेदांत को आवंटित किया गया है उसके साथ ज्वाइंट वेंचर करके किया जाएगा ।
आयरन ओर प्रोजेक्ट के बारे में उन्होंने कहा कि यह देवझर, जो क्योंझर जिला में आता है। वहां स्थापित की जा रही है तथा इसकी क्षमता 30 मिलियन टन प्रतिवर्ष होगी। इसी लौह अयस्क पर आधारित एक पिलेट प्लांट की स्थापना भी अदानी के बंदरगाह धामरा के समीप में किया जा रहा है।
समुद्री बंदरगाह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अडानी समूह को उड़ीसा में धामरा बंदरगाह 38 वर्षों के लिए सौंपा गया है। इसमें 300 एकड़ भूमि दी गई है। इसकी वार्षिक क्षमता 83 मिलियन टन की है। एक मिलियन टन के लिए अदानी को 270 रूपए बतौर भाड़ा मिलेगा।
इसी क्रम में उन्होंने ग्रीन स्टील मिल की चर्चा की। अडानी पोस्को के साथ मिलकर इसकी स्थापना कर रहा है। इस Posco के खिलाफ उड़ीसा में पूर्व मे बड़ा संघर्ष हो चुका है, जिसमें कंपनी को वापस जाना पड़ा था।सोमपुरी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के बारे में डॉक्टर डांगी ने कहा कि यह भी धामरा के निकट त्रिवेणी कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर करके किया जा रहा है।त्रिवेणी कंपनी के ऊपर सर्वोच्च न्यायालय के शाह कमीशन ने पूर्व में अवैध खनन का आरोप लगाया है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उड़ीसा जैसे क्षेत्रों में पलायन को रोकने के लिए जरूरी है कि अडानी जैसे पूंजीपतियों के द्वारा जिस प्रकार खनिज संसाधनों कारपोरेटीकरण किया जा रहा है, उसका जबरदस्त प्रतिरोध किया जाए।डॉ मिथिलेश डांगी ने आह्वान किया कि इस उल्टी गंगा की धारा को सीधी दिशा में मोड़ने हेतु साझा संघर्ष की ओर एक कदम बढ़ाएं और जल, जंगल ,जमीन एवं खनिज पर जन समुदाय की मालकियत स्थापित होने तक संघर्ष जारी रखें। इस बैठक की एक विशेषता यह रही की उड़ीसा के क्षेत्र में जल, जंगल, जमीन के लिए संघर्ष करने वाले साथी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
डॉक्टर डांगी के द्वारा अपनी बात रखने के बाद सवाल जवाब का भी सत्र हुआ।
इस ज़ूम बैठक में राजीव लोचन शाह, हसमुख पटेल, उषा पटेल, उपेंद्र जी, हिमांशु युवा, दिनेश यादव, प्रदीप भाई, गोपाबंधू, मृत्युंजय, दिवाकर, सत्यरंजन, बिंबधर, गणेश ओरम, कृपाल सिंह, रिंकू, हरे कृष्ण मलिक तथा मनीष सिन्हा सहित कई अन्य साथी भी बैठक में शामिल थे।
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