आजादी बचाओ आंदोलन के आंदोलनकारी की ज़ूम बैठक (शनिवार) 4 नवंबर को संपन्न हुई।इस बैठक में आंदोलन के संयोजक डॉक्टर मिथिलेश डांगी ने आंदोलन का पक्ष रखते हुए कहा कि जहां-जहां जमीन अधिग्रहण का आंदोलन चल रहा है, वहां पर आंदोलन का स्पष्ट मानना है कि हमें शुरुआत से ही सरकार की मुआवजा नीति पर संतुष्ट नहीं होना है। आंदोलन की पूरी कोशिश यह रहनी चाहिए कि विशेष परिस्थिति में ही सरकार के द्वारा जमीन अधिगृहत हो, मुआवजा अंतिम विकल्प होना चाहिए। उन्होंने झारखंड के विभिन्न जिलों में चल रहे भूमि अधिग्रहण पर आजादी बचाओ आंदोलन के सक्रियता की जानकारी दी।
उन्होंने आंदोलन के साथियों से अगले महीने मध्य प्रदेश के कटनी जिले में संभावित आजादी बचाओ आंदोलन के बैठक में सर्वसम्मति से फैसले लेने पर बल दिया।डॉक्टर डांगी ने यह भी कहा कि पुराने साथियों को आंदोलन से जोड़ने की जरूरत है। इसी क्रम में सभी साथियों के साथ आंदोलन के रणनीति को लेकर एक बैठक की जानी चाहिए। यह बैठक भविष्य में देहरादून या गोड्डा में साथियों की सहमति से कराई जा सकती है।
श्री आनंद मालवीय ने भी इस जूम मीटिंग में आंदोलन की विचारधारा पर बात करते हुए कहा कि बड़े कॉरपोरेट्स से छोटे दुकानदारों को बचाने के लिए हमें उन दुकानदारों से सामान खरीदने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने लोकल फार वोकल की बात अपने ढंग से करते हुए कहा कि हमें देसी सामान खरीदने और उसे पहनने की कोशिश करनी चाहिए। आंदोलन के विचारधारा पर बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि हमें सांप्रदायिक मुक्त विचारधारा पर कठोर तरीके से अमल करते रहना चाहिए। हरियाणा के साथी हिमांशु युवा ने आंदोलन के पोर्टल तैयार होने की बात की तथा उन्होंने यह भी कहा कि उस पर विभिन्न तरीके के वीडियो अपलोड किए जा चुके हैं। उन्होंने व्हाट्सएप चैनल शुरू करने की तकनीकी पक्ष की जानकारी दी।
उन्होंने पोर्टल के माध्यम से नई आजादी उद्घोष नामक पत्रिका अपने बुद्धिजीवी साथियों के सहयोग से जल्द शुरू होने की उम्मीद जताई। आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए इलाहाबाद के दिनेश यादव ने भी उसकी सक्रियता पर बल दिया। तत्पश्चात पिछले लिए गए फैसलों के अनुसार इसकी प्रबल संभावना है कि एक पखवाड़े में आंदोलन का एक प्रतिनिधिमंडल आजमगढ़ के खिरिया बाग में चल रहे भूमि अधिग्रहण के विरोध में चल रहे आंदोलन को समर्थन देने उक्त स्थान पर जाए। इस प्रतिनिधि मंडल में झारखंड और इलाहाबाद के साथी के जाने की संभावना है। इस बात पर भी बल दिया गया कि जो साथी आंदोलन पोर्टल पर विभिन्न तरीके के लेख बेहतर तरीके से लिख सकते हैं, वह अवश्य लिखें। आंदोलन की अगली पाक्षिक बैठक दिवाली की पूर्व संध्या पर 11 नवंबर को होगा, जिसमें छत्तीसगढ़ के कारपोरेटी लूट के बारे में विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस जूम बैठक में अपनी बात रखने वाले उपयुक्त साथी के अलावे मालती जैन तथा मनीष सिन्हा सहित अन्य साथी उपस्थित थे।
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