GM बीज स्वास्थ्य के लिए ही नहीं देश की अस्मिता, स्वतंत्रता और सम्प्रभुता के लिए खतरा है।

 गत दिनांक (22.08.2024) किसान भवन चंडीगढ़ में देवेंद्र शर्मा जी के  आह्वान पर राष्ट्रीय किसान सम्मेलन "National Conclave of Farmer Leaders on GM Crops" जिसमें देश भर के करीब 18 राज्यों के 90 संगठनों के प्रतिनिधियों ने बीटी बीजों के संदर्भ में कार्यक्रम किया। 
सम्मेलन को सम्बोधित करते देवेन्द्र शर्मा
जिसमे आनुवांशिक रूप से संशोधित बीजों (GM Seed's) के मानवीय, वानस्पतिक, कृषि विविधता और पशु स्वास्थ्य के नुकसान के साथ साथ देश की अस्मिता, आर्थिक व राजनैतिक स्वतंत्रता, राष्ट्रीय सम्प्रभुता व सामाजिक दृष्टिकोण के लिए घातक है और इसके भारत में प्रयोगों से भयावह व भयंकर परिणाम सामने आएंगे और जिसके भयंकर प्रभावों को कॉरपोरेटी प्रभाव के चलते सरकारी प्रचार के जरीए दबाने की साजिश को रोकना होगा। हमें उसका प्रचार व प्रभाव को प्रभावी ढंग से जन आंदोलन के रूप में जनजागृति के तहत देश भर के कोने-कोने में मजदूर -किसान,महिला,विद्यार्थी,नौजवान,आदीवासी,हर वर्ग और क्षेत्र,कर्मचारी,अधिकारी राज्य व केंद्र सरकार तक पहुंचाई जाए ताकी देश में एक माहौल खड़ा हो जो बिना किसी गुरेज के देश में सवालों का माहौल व मसला बना सके। 
          देवेन्द्र शर्मा जी के आह्वान पर आयोजित कार्यक्रम में देश भर के किसान प्रतिनिधियों का देवेन्द्र जी ने सबसे पहले स्वागत कर आभार प्रकट किया।उसके बाद उन्होंने कार्यक्रम की रुपरेखा सभी सम्मानित सदस्यों के सामने रखी। समय की गरिमा को समझते हुए कम समय में सभी बिंदुओं पर सात्विक चर्चा हो और एक एक्शन प्लान बने उसके लिए जोर देकर कर कार्यक्रम की रूपरेखा को आगे बढ़ाया और जी एम बीज पर अपनी बात रखते हुऐ कहा की भूतकाल में देश भर के किसान नेता इस बात पर एकमत थे कि यहां जीएम फसलों की अनुमति नहीं दी जाए और किसानों के बीच यह सर्वसम्मति है की "जीएम फसलें पर्यावरण, किसानों और मनुष्यों की आजीविका और पशु स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।"
सम्मेलन में एक अन्य राय भी बनी की उपस्थित सभी किसान प्रतिनिधियों अपने हस्ताक्षर सहित एक प्रस्ताव "केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन" मंत्री भुपेंद्र यादव को भी भेजेंगें। जिस पर सभी सभा सदस्यों की एक राय बनी और प्रस्ताव भेजना तय हुआ।
         इसके साथ साथ हाल ही में आए  सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मंत्रालय से एक राष्ट्रीय नीति विकसित करने को कहा है जिसमें देश के किसान प्रतिनिधियों के मशविरे को साथ लेने की भी बात कही सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सम्मान किया गया।

गुजरात से आए किसान नेता कपिल शाह ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए बताया की शुरुआती दौर में प्रचार किया गया की जीएम बीजों से कीटनाशकों के इस्तेमाल की जरूरत खत्म हो जाएगी लेकिन वास्तव में कीटनाशकों का प्रयोग कई गुना न केवल बढ़ा बल्की कपास की खेती में आर्थिक रूप से बोझ बढ़ा और देश में आत्महत्याओं का सिलसिला भी बढ़ा।


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अफसर जाफरी ने प्रेजेंटेशन देते हुए कहा की इस देश में मोनासंटो ने मंत्रालय को धता देकर बीज को पेस्टिसाइड बता कर पेटेंट लिया और देश के किसानों को धोखे में रखा कर उनकी खेती किसानी को नुक्सान पहुंचाने का काम किया 




किसान एक्टिविस्ट कविता करुगांती ने कहा कि वर्तमान सरकार को जीएम फसलों पर राष्ट्रीय नीति को अंतिम रूप देने से पहले सभी हितधारकों के साथ परामर्श करना चाहिए। “वास्तव में, हमें जीएम फसलों पर नीति की नहीं, बल्कि एक जैव सुरक्षा नीति की आवश्यकता है। 2009 में, तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सार्वजनिक परामर्श आयोजित किया गया था और बीटी बैंगन फसल की शुरूआत रोक दी गई थी, ”



किसान नेता राकेश टिकैत ने बीटी कपास की विफलताओं के बारे में बात रखी और डट कर कड़े शब्दों में विरोध किया।इसके साथ साथ उन्होंने किसानों द्वारा जैविक खेती अपनाने की वकालत की।


किसान नेता गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा कि हालांकि गुप्त रूप से जीएम फसलों का क्षेत्रीय परीक्षण करने का प्रयास किया गया था, लेकिन हरियाणा में किसानों ने उन फसलों को नष्ट कर दिया।




अंत में आजादी बचाओ आंदोलन से प्रतिनिधित्व कर रहे विवेकानंद माथने ने कहा जीएम बीजों पर तीस साल पहले देश में सबसे पहले जब हमने माहौल खड़ा किया तब से हमारी बीज नीति रही है की बीजों पर पेटेंट  खत्म हो ताकी किसान देशी बीजों को सहज कर अपना अधिकार स्थापित कर सके । उन्होंने कहा की किसान तथा परंपरागत बीज उत्पादकों का जैव विविधता फसल विविधता पर नैसर्गिक अधिकार है किसानों को किसी भी प्रकार के बीज बोने, उन्हें बचाने, उपयोग करने, दूसरे किसानों को देने, साझेदारी करने तथा बेचने हेतु उत्पादन करने का पूर्ण अधिकार है किसान की इस अधिकार को छिनने वाली कुख्यात कंपनियों व सरकारी नीतियों का हम कड़े शब्दों में विरोध करते हैं कृषि के क्षेत्र में किसानों द्वारा किए गए अनुसंधान को प्रोत्साहन देने और कृषि उत्पादों में कंपनियों का एकाधिकार व लूट समाप्त करने के लिए "बौद्धिक संपदा अधिकार" कानून को समाप्त किया जाए देश के विनाश के लिए जिम्मेदार जीएम बीजों के प्रयोग को तुरंत प्रतिबंधित किया जाए जीएम खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य व प्रजनन क्षमता के लिए घातक है इसके आयात पर भी प्रतिबंध लगाया जाए। इसके साथ साथ उन्होंने बजट और खेती पर भी प्रकाश डाला।
सभा मंडल में उपस्थित  सदस्य 
इसके साथ साथ केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उ०प्र०, बिहार, गुजरात, दिल्ली के साथ साथ अन्य राज्यों से किसान प्रतिनिधियों, राज्यसभा सांसद, राजनैतिक सलाहकारों ने इस मसले पर अपना मत रखा और मजबूती से साथ देने की बात कही।
इस कार्यक्रम में भोजन की जिम्मेदारी पंजाब से आए तीन साथियों (त्रिमूर्ति) ने ली और अच्छे से भोजन की सभी व्यवस्थाएं आदरपूर्वक की गयी। देवेन्द्र शर्मा द्वारा उन साथियों का हौसला अफजाई के साथ आभार प्रकट किया गया हैं।

प्रस्तुतकर्ता:- हिमांशु युवा बलाश(नई आजादी उद्घोष)

सम्पर्क सूत्र:- 8168490922
















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