जब दी गाली उन्होंने गांधी को सरेआम,
तब तुमने भी नहीं बक्शा गांधी को,,
और
बनारस में बने गांधी आश्रम को ढह जाने दिया बुलडोजर से,
जब दी गाली उन्होंने नेहरू को तब,
तुमने भी लय मिलकर दी गाली नेहरू को
और
जब आज आंबेडकर को भी मिले कुशब्द संसद में,
तब तुम तिलमिला कर कूच कर गए सड़कों पर?
ये वक्त, तिलमिलाने का है ही नहीं,
ये वक्त तो तमाशबीन बनने का है,
ताकि मदारी के आखिरी चरित्र को देख सको,रंगप्रपंच के आखिरी पड़ाव में,
अभी रुको, इन्हें देने दो गाली
दो चार और किरदारों को,
तब चरमरा जाएगा इनका भी किरदार,
नोट, वोट और चोट की फटकार से,
देने दो गाली भगत, सुभाष, अशफाक ओ बिस्मिल को,
देने दो गाली जेपी लोहिया,कर्पूरी ओ छोटूराम को,
तब कांप जाएगा इनका भी अहम वहम के साथ,
और मांगेगे माफी अपने पूर्वजों की तरह पैर पटक कर,
पागल गोडसे की गोली ओ अपनी गाली तक के तथ्यों से।
फिर लेंगे उतरन (u-trun)ये गांधी, नेहरू, आंबेडकर के चरित्र पर उठाए सवालों पर,
फिर देंगे लिखित में फिर से माफीनामे अपने जवाबों पर,
फिर मांगेगे माफी देश की जनता से किए जुल्म ओ सितम पर,
तब देंगे ये गांधी की दुहाई ओर आंबेडकर की कसमें
देश के पहले प्रधानमंत्री का नाम जोड़ कर।
हिमांशु युवा "बलाश"
आजादी बचाओ आंदोलन
8168490922
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